© बिमल तिवारी "आत्मबोध" देवरिया उत्तर प्रदेश
सत्यं शिवं सुन्दरम्
भगत सिंह
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© बिमल तिवारी "आत्मबोध" देवरिया उत्तर प्रदेश
हम और आप में से ज्यादातर लोग सोशल मीडिया के आदि हो रहे हैं। आज सोशल मीडिया का इस्तेमाल कुछ लोग दोस्त और रिश्तेदारों से जुड़ने के लिए कर रहे हैं, तो कुछ लोग वीडियो देखने के लिए। सोशल मीडिया हम सभी के लिए एक जाना पहचाना व लोकप्रिय माध्यम है। टेक्नोलॉजी और स्मार्ट उपकरणों के युग में आज नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम और हॉटस्टार जैसे माध्यमों में फिल्म, वेब सीरीज आदि देखना और फेसबुक, टि्वटर पर स्क्रॉल करना हर उम्र के लिए एक आम बात हो गई है। यह इंसानी सभ्यता और अस्तित्व के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
जबसे सोशल मीडिया आया है तब से हम अपने परिवार के साथ रहते हुए भी अलग-थलग महसूस करते हैं। सोशल मीडिया से युवाओं में अवसाद और डिप्रेशन का खतरा बढ़ रहा है, इसके साथ-साथ चिड़चिड़ापन भी दिखाई दे रहा है। हमारे समाज में सोशल मीडिया के आने के बाद लोगों में मोटापा, अनिद्रा और आलस्य की समस्या भी सामने आ रही है। कुछ रिसर्च बताते हैं कि सोशल मीडिया के आने के बाद से सुसाइड के मामले में बढ़ोतरी हुई है। सोशल मीडिया चेक ् और स्क्रोल करना, पिछले एक दशक के मुकाबले तेजी से लोकप्रिय गतिविधि बन गई है। सोशल मीडिया आज सभी देशों के लिए एक व्यावहारिक लत बन गई है।
आज फोन बड़े से लेकर बच्चों तक के लिए जरूरी हो गया है। जहां बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है तो वही बड़ों को अपडेट रखने के लिए फोन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से लोगों में सोशल मीडिया की लत लग रही है। जिससे लोगों की नींद पर असर पड़ रहा है और नजरें तेजी से कमजोर हो रही है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक हफ्ते तक लगातार सोशल मीडिया का प्रयोग करता है, तो वह अपनी एक रात की नींद खो चुका होता है।
इसके अलावा हमारे युवाओं में ऑनलाइन सट्टेबाजी और ऑनलाइन खेलों में पैसा लगाने की लत भी सामने आ रही है। सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से हमारे युवाओं में ना सिर्फ आत्मविश्वास की कमी आ रही है, बल्कि अकेलेपन का भी आभास लगातार बढ़ता जा रहा है। सोशल मीडिया से सबसे अधिक प्रभावित हमारा युवा वर्ग हो रहा है। सोशल मीडिया के कारण आज कई युवा आत्महत्या कर रहे हैं तो कई युवा मानसिक अस्वस्थ का शिकार हो रहे हैं। यह समस्या आने वाले समय में और बढ़ने की ओर इशारा करती है।
लोग घंटों ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फिल्म, वेब सीरीज, कॉमेडी इत्यादि चीजें देख रहे हैं। जिससे लोग अपने समय का सही से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। एक व्यक्ति तभी स्वस्थ होगा, जब उसे पर्याप्त आहार और नींद मिलेगी। हम सभी के सामने एक प्रश्न है- सोशल मीडिया से होने वाली समस्याओं से कैसे निपटा जाए ? जवाब- आज हमें कम से कम सप्ताह में एक या दो बार सोशल मीडिया फ्री दिवस या डिजिटल उपवास करने की जरूरत है। इसके अलावा हमें सोशल मीडिया का उपयोग उतना ही करना है, जितना वह हमारे लिए जरूरी है। अपने बच्चों को भी हमें सोशल मीडिया के खतरों व समस्याओं से रूबरू करवाना होगा और सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से रोकना होगा। कंपनियों, स्कूलों और सरकारी संस्थानों को भी हफ्ते में एक दिन मोबाइल फ्री डे मनाने की जरूरत है।
भाटपार रानी के लाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 15वां स्थान लाकर देवरिया जिले का नाम रोशन किया। रविशंकर प्रसाद गुप्त धर्मपत्नी श्रीमती निर्मला देवी के तृतीय सुपुत्र अभय कुमार गुप्त ; जिनका जन्म स्थान आर्य चौक भाटपार रानी है। वर्तमान में बेसिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश में अध्यापन कार्य कर रहे थे।इनकी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा भाटपार रानी के बाबा राघव दास कृषक इंटरमीडिएट कॉलेज भाटपार रानी में हुई। स्नातक की शिक्षा भी यही मदन मोहन मालवीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटपार रानी से हुई।ये नौकरी के साथ ही संघर्षपूर्वक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हुए थे। इसके पूर्व भी ये एडीओ एलआईसी,एसआई सीपीओ, सचिवालय सहायक, बिहार और उत्तर प्रदेश लेखपाल की परीक्षाएं उत्तीर्ण की थी। इनके बड़े भाई श्री संतोष कुमार गुप्त उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग में एआरपी है।मझले भाई राजीव कुमार गुप्त एक प्रतिष्ठित व्यवसायी है।इनकी इस सफलता पर वेदप्रकाश वेद, दिनेश कुमार चौरसिया, विजय कुमार गुप्त, बद्रीनारायण गुप्त, संजय कुमार गुप्त,अजय कुमार गुप्त और रौनियार समाज ने हार्दिक शुभकामनाएं और बधाइयां दी है।
उपनगर के निर्मल मैरिज हाल में नगर रौनियार सेवा संघ के द्वारा रौनियार समाज के पुरोधा कुलभूषण महाराजा हेमचंद्र विक्रमादित्य की जयंती हर्ष उल्लास और उमंग के साथ नगर रौनियार सेवा संघ के द्वारा मनाया गया, सभा की अध्यक्षता श्री विजय कुमार गुप्त व संचालन महामंत्री व पत्रकार संजय कुमार गुप्ता ने किया कार्यक्रम की शुरुआत सभाध्यक्ष श्री विजय कुमार गुप्त ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्वलित कर किया। माता सरस्वती पूजा का आवाहन गान अंतरराष्ट्रीय कवि एवं साहित्यकार डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन के हे शारदे मां, हे शारदे मां के गायन से हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रौनियार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारसनाथ रौनियार ने सभा को संबोधित करते हुए केंद्र के पिछड़े वर्ग की सूची में रौनियार समाज को शामिल करने के अपने अथक प्रयासों की चर्चा की और रौनियार समाज से भरपूर सहयोग मांगा। अंतरराष्ट्रीय कवि एवं साहित्यकार, पत्रकार डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन ने रौनियार समाज के पुरोधा महाराजा हेमचंद्र विक्रमादित्य के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला और वर्तमान परिपेक्ष में रौनियार समाज को एकजुट रहने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सभा के अध्यक्ष विजय कुमार गुप्त ने कहा कि आज रौनियार समाज शिक्षा, स्वास्थ्य, कला, विज्ञान, चिकित्सा से लेकर राजनीति राजनैतिक क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रहा है और रौनियार समाज किसी परिचय का मोहताज नहीं है बस अगर हम थोड़ा और संगठित होंगे तो निश्चित रूप से ही हमारी ताकत और हमारी शौर्य शक्ति की चर्चा नगर ही नहीं बल्कि पूरा देश करेगा। आज रौनियार समाज की ताकत को सभी पहचान रहे हैं और हमें अपने आने वाले पीढ़ी को सिर्फ जाग्रत करते रहना है , इस दौरान बच्चों ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए और उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में ,कला के क्षेत्र में, विज्ञान के क्षेत्र में ,समाज के क्षेत्र में, राजनीति के क्षेत्र में ,अपना योगदान देने वाले उपस्थित सभी पत्रकार बंधुओं को प्रशस्ति पत्र व शाल ओढ़ाकर उन्हें भी सम्मानित किया गया और अन्य समाज के तमाम अन्य सदस्यों को भी सम्मानित किया गया जिनमें मुख्य रुप से पारसनाथ गुप्ता, कृष्णा रौनियार, अंतरराष्ट्रीय कवि एवं साहित्यकार, पत्रकार डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन, बाबूलाल रौनियार, डॉ अरविंद प्रकाश, भगवान जी रौनियार, रजनी गुप्ता रोशन गुप्ता, रंजना गुप्ता, खुशबू गुप्ता, नीतू गुप्ता, सोनल रौनियार, राहुल गुप्ता, संतोष कुमार गुप्त,अभय कुमार गुप्त, कमलेश कुमार गुप्त,अजय कुमार गुप्त, राजेश कुमार गुप्त, आदित्य कुमार गुप्त,गौरव कुमार गुप्त,धुव कुमार गुप्त, जयप्रकाश रौनियार सहित अनेकों समाज सेवी व बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने वालों में राधिका गुप्ता, राधा गुप्ता, स्नेहा गुप्ता, प्रियांशु गुप्ता, दीप्ति गुप्ता, आराध्या, अनन्या, अंकित गुप्ता, सिद्धि गुप्ता, पायल कुमारी, आयुषी गुप्ता, अनुष्का, अमिताभ, ऐश्वर्या, आर्यन, डुग्गू सृष्टि, सौम्या गुप्ता, गौरी गुप्ता सहित तमाम लोगों को सम्मानित किया गया इस दौरान ध्रुव कुमार गुप्ता जितेंद्र गुप्ता मनोज कुमार गुप्ता कृष्णा रौनियार शारदा गुप्ता चंदन कुमार गुप्ता अजय आर्य आनंद प्रकाश रौनियार लल्लन प्रसाद रौनियार पप्पी जी रौनियार रामेश्वरम गुप्ता सुधीर गुप्ता प्रमोद कुमार गुप्ता पत्रकार ओम प्रकाश गुप्ता विश्राम प्रसाद गुप्ता रवि गुप्ता संदीप गुप्ता सोमनाथ गुप्ता, ओम नाथ गुप्ता, विजय कुमार गुप्ता सहित हजारों की संख्या में स्वजातीय बंधु उपस्थित रहे। सभी जनों का पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती प्रेमलता गुप्ता ने आभार व्यक्त किया।
पिता मात्र एक शब्द नहीं सृष्टि औऱ संसार हैं
पिता की छाया संतानों पर अम्बर सा विस्तार हैं
ऊसर भूमि, परिवार का वृष्टि औऱ पालनहार हैं
पिता से हैं सम्बंध जीव का माँ की गोद से बाहर का
सम्यक जीवन जीने का दृष्टि औऱ संस्कार हैं
डूबती नैय्या भँवर में जब,तब पिता ही खेवनहार हैं
हर मुश्किल हर संकट में बच्चों के,पिता ही तारनहार हैं
पिता से ज्ञान जो मिलता उससे हिम्मत पौरुष हैं आता
ईश्वर सी हैं वाणी वचन ,पिता का बुध्दि व्यवहार हैं
पिता प्रत्यक्ष इस सृष्टि जगत में अप्रत्यक्ष का प्रमाण हैं
पिता सृष्टि के निर्माता औऱ देवों का अवतार हैं
पिता की वाणी वेद कुरान सी पावन औऱ पवित्र हैं
पिता के सिवा बच्चों ख़ातिर, नहीं दूसरा भगवान हैं
घर परिवार गृहस्थी का पिता ही संविधान हैं
खुलें हुए दर दरवाज़ें का पिता ही पहरेदार हैं
उमर अपनी थम जाती हैं देख पिता को साथ में
बुढ़ा पिता भी बैठा दर पर लगता थानेदार हैं
बोली वचन औऱ वाणी घर में पिता का शासन हैं
डाँट डपट औऱ धौंस बच्चों पर पिता का प्रशासन हैं
बचा नहीं कोई नैतिकता जहाँ पर होता नहीं पिता
दृश्य अदृश्य रूप पिता का जीवन में अनुशासन हैं
पंगत रहन सहन पिता का नैतिकता का पाठ हैं
रंगत रूप रंग पिता का भौतिकता का साथ हैं
जिसकें अंग रूह में सारे परमात्मा का वास हैं
संगत साथ बात पिता का बौद्धिकता का ज्ञान हैं ।।
© बिमल तिवारी "आत्मबोध" देवरिया उत्तर प्रदेश
23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान फांसी की सजा सुनाई गई थी. तीनों ने लाला लाजपत राय का मौत का बदला लेने के लिए अंग्रेज पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या कर दी थी. फांसी के समय आजादी के ये दीवाने बहुत कम उम्र के थे. इसके बाद से ही देश में 30 जनवरी के अलावा आज के दिन को भी शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
देश में कई तारीखें शहीद दिवस के तौर पर मानी जाती हैं. इसमें महात्मा गांधी की हत्या के दिन यानी 30 जनवरी के बारे में अधिकतर लोग जानते हैं. इसके अलावा 23 मार्च को भी शहीद दिवस कहा जाता है क्योंकि इस रोज एक साथ तीन क्रांतिकारियों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी. कई जगह इस बात का जिक्र है कि जिस दिन उन्हें फांसी दी गई थी उस दिन वो तीनों मुस्कुराते हुए आगे बढ़े और एक-दूसरे को गले से लगाया था।
देश-दुनिया के इतिहास में 23 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा इस प्रकार है
1880 : भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता बसंती देवी का जन्म।
1910: स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी, प्रखर चिन्तक एवं समाजवादी राजनेता डॉ राममनोहर लोहिया का जन्म।
1931: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दी।
1940 : मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान प्रस्ताव को मंजूरी दी।
1956 : पाकिस्तान दुनिया का पहला इस्लामिक गणतंत्र देश बना।
1965: नासा ने पहली बार अंतरिक्ष यान ‘जेमिनी 3’ से दो व्यक्तियों को अंतरिक्ष में भेजा।
1986 : केन्द्रीय आरक्षी पुलिस बल की पहली महिला कंपनी दुर्गापुर शिविर में गठित की गई।
1987: बॉलीवुड फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत का जन्म।
1996: ताइवान में पहला प्रत्यक्ष राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें ली तेंग हुई राष्ट्रपति बने।
2020 : भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों की संख्या 433 हुई और देश के अधिकतर हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया।
प्रेस वार्ता : अखिल भारतीय साहित्य परिषद् जमशेदपुर
दिनांक : 16 मार्च 2022 , स्थान : तुलसी भवन
अखिल भारतीय साहित्य परिषद, जमशेदपुर इकाई के बैनर तले आज 16 मार्च दिन मंगलवार को एक प्रेस वार्ता सह संवाददाता सम्मेलन का आयोजन तुलसी भवन , बिष्टुपुर , जमशेदपुर में संध्या 4:30 बजे किया गया l
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के मीडिया प्रभारी श्री सूरज सिंह राजपूत जी ने आगामी 20 मार्च 2022 रविवार को तुलसी भवन के मुख्य सभागार में आयोजित होने वाले संस्था के भव्य वार्षिकोत्सव समारोह सह वाग्धारा पत्रिका के लोकार्पण समारोह के संबंध में बताया l
कार्यक्रम को मूलतः दो सत्रों में वर्गीकृत किया गया है ,
प्रथम सत्र में आदरणीया अनिता शर्मा जी के संचालन में "वाग्धारा पत्रिका एवं आदरणीय शैलेंद्र पांडे ' शैल ' जी के गज़ल संग्रह #चिरागों_में_चुपचाप_जलते_हुए का विमोचन तथा अतिथियों का सम्मान किया जाएगा । तथा दूसरे सत्र का आरंभ ओज के युवा कवि श्री सूरज सिंह राजपूत Er. Suraj Singh Rajput जी के संचालन से होगा जिसमें में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा तथा सभी सदस्यों का सम्मान किए जाने का भी प्रस्ताव है ।
गौर तलब हो कि वार्षिकोत्सव के अवसर आयोजित समारोह में केंद्रीय मंत्री
माननीय अर्जुन मुंडा जी
( जनजातीय कार्य मंत्री ,भारत सरकार ) जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे
विशिष्ठ अतिथि
डॉ संजय पंकज, डॉ अनिल सिंह देव, ऋषि कुमार मिश्रा
सम्माननीय अतिथि
श्री गोविंद दोदराजका ,श्री इंदर अग्रवाल ,श्री दिनेश्वर प्रसाद सिंह दिनेश, श्री प्रसेनजीत तिवारी,श्रीमती मंजू ठाकुर
प्रेस वार्ता की इस अवसर पर संरक्षक श्री जयंत श्रीवास्तव , अध्यक्ष श्री शैलेंद्र पांडे शैल, संगठन मंत्री अनीता शर्मा , सचिव कल्याणी कबीर , उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह , कोषाध्यक्ष बसंत प्रसाद , मीडिया प्रभारी सूरज सिंह राजपूत , संतोष चौबे मामचंद अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
आदरणीय जयंत श्रीवास्तव , अनीता शर्मा , शैलेंद्र पांडेय तथा कल्याणी कबीर जी ने आगामी कार्यक्रमों के विषय पर प्रकाश डाल ।
प्रेस वार्ता में समय देने के लिए तथा अपने समाचार पत्र में स्थान देने के लिए अखिल भारतीय साहित्य परिषद् शहर के तमाम प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बंधुओं का तहे दिल से आभार व्यक्त करता है ।
महिला काव्य मंच की मासिक ऑनलाईन काव्य गोष्ठी ३१-८-२०२१ को सफलता पुर्वक आयोजित की गई।
सभी कवयित्रीयों ने अपने भावों से भाव विभोर कर दिया,कोई राधे को जिया तो किसीने बिरह का रस पिया, वही किसीने प्रभु को राधे ठकुरानी के लिए तड़पते किशन का आभास कराया,
योगिनी काजोल पाठक के संचालन में एवं विभा तिवारी जी इकाई अध्यक्षा के सानिध्य तले गोष्ठी सफल एवं लाजवाब रही!
अर्चना ओजस्वी जी ,बाल कवयित्री मुख्य अतिथी ,नीति तिवारी, विशिष्ट अतिथि विशी सिंह जी, संगीता तिवारी,खुश्बू उपाध्याय, शिल्पी शहडोली,योगिनी जौनपुरी,उपस्थित रहीं।
सुचनार्थ
योगिनी काजोल पाठक इ.उपा.
विभा तिवारी जी-इ.अ.
महक जौनपुरी पुर्वी उ.प.अ.
तलाश
जिंदगी के सफर में,
मंजिल की तलाश में,
चलते चलते इतनी दूर आ गई,
शायद अब मंज़िल मिल जाएगी - 2
मंज़िल तो मिली नहीं पर,
ठोकरे हजार लगे ।
कभी रिश्तों ने ठोकर मारे तो,
कभी अपने बन के लोगो ने ठोकर मारे।
अब तो आलम कुछ यूं है ,
जिन्दगी भी जिद पर आ गई है
शायद उसे भी ठोकर मारनी है।
फिर भी मैं नहीं हूंगी हताश,
तन में जब तक है साँस
तब तक,
मंजिल की तलाश में
चलती जाऊँगी।
हजार ठोकरे खाते हुए ।
अपने आस को कभी टूटने न दूँगी ,
इस आस के सहारे,
भटकते भटकते,
मुझे मेरी मंजिल मिल जाएगी,
खड़ी कहीं किसी राह पर
मेरा इंतिजार करते हुए ।
लक्ष्मी सिंह
जमशेदपुर झारखंड
नाम : संतोष कुमार चौबे
पिता : स्व. बशिष्ठ चौबे, टाटा स्टील, जमशेदपुर
माता : स्व. देवेंति देवी, गृहणी।
जन्म : 23. 01.1975
निवासी : बसंतपुर (मलमलिया), सिवान, बिहार
जन्म व कर्मभूमि
मकान सं. 66/1/1, सड़क सं. 16, आदित्यपुर-2, जमशेदपुर-13, झारखंड-831013।
शिक्षा
1991 : मैट्रिक, के एम पी एम हाई स्कूल, जमशेदपुर।
1993 : आई एस सी (मैथ), के एम पी एम इंटर कॉलेज, जमशेदपुर।
1995 : सर्टिफिकेट कोर्स इन स्टेनोग्राफी और सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस।
1998 : भारत सरकार, आयकर विभाग में आशुलिपिक के पद पर नियुक्त, हजारीबाग।
2007-2009 : बी.कॉम (एकाउंट्स), करीम सिटी कॉलेज, जमहेडपुर।
2010 : मॉस कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म में डिप्लोमा, करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर।
2020-22: मॉस कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री जारी है।।
वर्तमान पद : आयकर निरीक्षक, इंटरनल ऑडिट, जमशेदपुर।
साहित्यिक अभिरुचि : कविता, कहानी, ग़ज़ल, दोहा आदि।।
प्रकाशित साझा संकलन
अंजुमन, इंदौर ( कविता संग्रह) ,
कोरोनाकाल, देवघर (कविता संग्रह )
काव्यसागर, देवघर (कविता संग्रह)
संस्थाओं से संबद्धता
सदस्य (वित् सलाहकार), अखिल भारतीय साहित्य परिषद , जमशेदपुर ईकाई।
प्रभारी, साहित्योदय, जमशेदपुर ईकाई।
सदस्य, कलम की सुगंध झारखंड, जमशेदपुर।
आलेख और कविताओं का निम्नलिखित पत्रिकाओं में प्रकाशन
जोहार झारखण्ड,
आयकर पत्रिका, रांची।
आयकर बिहार, पटना।
अन्य आयकर विभागीय पत्रिकाएं तथा स्थानीय समाचार पत्र, प्रभात खबर, हिंदुस्तान, दैनिक भाष्कर, उदितवानी, खबर मंत्रा आदि।
आकाशवाणी जमशेदपुर से कविता का प्रसारण कई बार हुआ है, 2018, 2020 और 2021 में।
प्राप्त सम्मान
विभागीय सम्मान। विभागीय हिंदी पखवाड़े में कई बार भाषण, कविता, निबंध आदि के लिए पुरष्कृत हुए।
संहार में सौभाग्य
अस्थिर धरा एक निश्चित मधुसूदन
कंठ अवरुद्ध नेत्र पूरित अश्रुकण
रुष्ट नियति काल करता यक्ष प्रश्न
व्यथित आत्मा झुलसे है तीव्र अग्न
चित्कार क्रंदन हृदय विदारक युद्ध
बंधु दृश्यगत अपने ही विरुद्ध
धर्म को समर्पित स्वयं का गूढ़ दान
अधर्म को निज सेना का वरदान
असहज करती धर्म परंपरा विचित्र
परिणाम कलुषित करता है चित्र
कैसा है भ्रम कैसी ये माया,
धर्म-विमुख अनैतिक छाया।
कुरुक्षेत्र युद्ध बेदी अंतिम प्रहर
रक्त सांझ शापित श्री कृष्ण प्रवर
नारायण से हत नारायणी सेना
नभ-जल-धारा अचंभित है ना।
कर्मयोगी का कर्म लगता अक्षम्य
निहित है किंतु धर्माकांक्षा अदम्य
असत्य का हो सुनिश्चित संहार
सत्यनिष्ठ का समवेत उद्धार।
तारणहार करों से उपलब्ध मरण
मुक्ति श्री का है निहितार्थ वरण
विभीषिकाएँ दर्शित हैं परंतु
श्री श्री की लक्षित है शरण
डॉ सीमा भट्टाचार्य
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
कहानी : "राखी का उपहार"
कुसुम बैठी दीवार पर सोना (रक्षाबंधन के चित्र) बना रही थी, तभी उसे पता चला कि उसके भाई कमल की कटने को तैयार खड़ी सारी फसल आग से बर्बाद हो गई।
सुनकर उसका जी हलक को आ गया,उसका मन हुआ कि अभी भाग कर मायके पहुंच जाएं। उसके मायके ससुराल में कहने को ज्यादा दूरी ना थी लेकिन घर गृहस्ती के चक्कर में फंसी कुसुम सिर्फ तीज त्योहारों पर ही मायके जा पाती थी।
कहकर उसके पति ने कुछ रूपए और कुछ जरूरी कागज उसके हाथ में रख दिए,जिसे देखकर कुसुम के चेहरे पर मुस्कान और अपने पति के प्रति आदर का भाव आ गया।
जल्दी जल्दी बस कुछ जरूरी सामान और मुन्ने (अपने बेटे)का सामान बांधा और सोचा मैं तो अम्मा या भाभी की साड़ी बांध लूंगी,दो दिन का क्या काटना और कौन सा मुझे घूमने जाना है,जब अपने घर में आग लगी हो तो कुछ भी कैसे भा सकता है।
चलते-चलते याद आया भैया की बिटिया के लिए तो कुछ ला ही नही सकी , त्यौहार का ऊपर है कुछ तो ले जाना ही चाहिए।सोच कर उसने जल्दी से अपना बक्सा खोला वो ही बचपन वाली पायल निकाल ली जो उसके भाई ने बचपन में राखी पर उपहार में दी थी।
इतने में तांगा भी आ गया उसके पति ने कहा अपना ध्यान रखना, और तांगे वाले को भी समझा दिया।तांगा भी अपनी रफ्तार से दौड़ने लगा, यूं तो कुसुम का मायका दूर नही था लेकिन आज थोड़ी सी भी दूरी कोसों दूर होने का एहसास करा रही थी।
थोड़ी देर में तांगा मायके की दहलीज पर खड़ा था, जाते ही अम्मा ने गले लगा लिया, और भौजाई भी आंखों में आंसू छिपाते पानी का गिलास लेकर आ गई,आज कुसुम ने भाभी को अपने पैर ना छूने दिये , सीधे गले लगा लिया। गांव देहात में आज भी भाभीयां नन्द के पांव छूती है।
कहकर कुसुम ने झोले में से इस साल के फसल के बीमे के कागज भाई के साथ में थमा दिए, जिसे उसने चुपचाप अपने पति के साथ मिलकर भाई की फसल के लिए कराया था।जिसे देखकर भाई की आंखों से आंसू बहने लगे, और बिन कुछ कहे सुने ही दोनों भाई बहन को राखी का उपहार मिल गया।
इसलिए यहां दो पंक्तियां कहना चाहूंगी...
ऋतु गुप्ता
खुर्जा बुलंदशहर , उत्तर प्रदेश