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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Sunday, January 10, 2021

दीपक वर्मा 'दीप' ( जमशेदपुर, झारखण्ड ) : मनहरण घनाक्षरी

मनहरण घनाक्षरी

हिंद देश के हैं वासी,हम सभी भाषा भाषी।
मिल जुल कर सभी, राष्ट्र गीत गाइए।।

हिंदी को भी मान कर, तन-मन ध्यान धर।
अपनी राजभाषा का , मान तो बढ़ाइए।।

जनप्रिय है ये भाषा, जनशक्ति जन आशा।
हर कोई मिल इसे, सबसे मिलाइए।।

देश परदेश रहें, हिंदी ही विशेष रहे।
अपनी हिंदी भाषा पे,जान तो लुटाईए।।

दीपक वर्मा 'दीप' , जमशेदपुर, झारखण्ड


सूचना : 

यह रचना राष्ट्र चेतना पत्रिका के 06 अंक में भी प्रकाशित की गई है ।
यह अंक  दिनांक 11 जनवरी 2021 , सोमवार को प्रकाशित हुआ था ।


धन्यवाद
सूरज सिंह राजपूत
संपादक राष्ट्र चेतना पत्रिका

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