विश्व में हिंदी की अपनी शान है।
विश्व में वैभव बड़ा सम्मान है।
भारती के भाल की बिंदी कहाती,
सरल भाषा देश की पहचान है।।
अलंकृत यह छंद,रस, श्रृँगार से।
सुसज्जित स्वर, व्यंजनों के भार से।
मधुर रस से भरी है हिंदी हमारी,
मातृभाषा है हमारी बहुत प्यारी।
सूर, तुलसी और मीरा की दुलारी,
जायसी, रसखान की है प्राण प्यारी।
यह कबीर,रहीम के दोहे में गुँजित,
विश्व की अति श्रेष्ठतम भाषा हमारी।
मान इसका हम बढ़ायें।
राष्ट्रभाषा हम बनायें ।
गर्व हम सब करें इस पर,
ख्याति दुनियां में बढ़ायें।
ओम प्रकाश खरे , जौनपुर
सूचना :
यह रचना राष्ट्र चेतना पत्रिका के 06 अंक में भी प्रकाशित की गई है ।
यह अंक दिनांक 11 जनवरी 2021 , सोमवार को प्रकाशित हुआ था ।
धन्यवाद
सूरज सिंह राजपूत
संपादक राष्ट्र चेतना पत्रिका
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