हिन्द हूं हिंदी हूं मैं
भारत की भाल पर
सजती एक बिंदी हूं मैं
भारत की शान हूं
भारतीयों का अभिमान हूं मैं
लिपियों में उत्कृष्ट हूं
सरल और संशलिष्ट हूं
ऋषियों की वाणी हूं
देवभाषा की संगिनी हूं
भावों की अभिव्यक्तियों
की धनी हूं मैं
वेद पुराणों की व्याख्या हूं
दिनकर निराला कवियों की
काव्या हूं
खुद पर गर्व है इतना
भाषाओं में आराध्या हूं
अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का प्यार हूं
साहित्य ग्रंथों का भंडार हूं मैं
मत भूलो तुम्हारी मातृभाषा
संस्कृति और संस्कार हूं मैं
हिन्द हूं हिंदी हूं मैं
भारत की भाल पर
सजती एक बिंदी हूं मैं
सुखबीर कौर , जमशेदपुर, झारखण्ड
सूचना :
यह रचना राष्ट्र चेतना पत्रिका के 06 अंक में भी प्रकाशित की गई है ।
यह अंक दिनांक 11 जनवरी 2021 , सोमवार को प्रकाशित हुआ था ।
धन्यवाद
सूरज सिंह राजपूत
संपादक राष्ट्र चेतना पत्रिका
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