मै ईश्वर की अनुपम कृति,
जग बदलने आया हूँ।
कलम की धार से,
तलवार चलाने आया हूँ।
अपने विचारों की ज्वाला से,
जन भाव जगाने आया हूँ।
बढ़ रहा अन्याय अधिक,
प्रश्नचिन्ह उठाने आया हूँ।
ज्योतिपुंज सा बनकर,
अंधकार मिटाने आया हूँ।
गरीबी, भुखमरी अशिक्षा पर,
आवाज़ उठाने आया हूँ।
समाज में व्याप्त कुरीति पर,
शब्द बाण चलाने आया हूँ।
परिवर्तन का संकल्प कर,
परिदृश्य बदलने आया हूँ।
मै ईश्वर की अनुपम कृति,
जग बदलने आया हूं।
मानस ओझा , जमशेदपुर
सूचना :
यह रचना राष्ट्र चेतना पत्रिका के 06 अंक में भी प्रकाशित की गई है ।
यह अंक दिनांक 11 जनवरी 2021 , सोमवार को प्रकाशित हुआ था ।
धन्यवाद
सूरज सिंह राजपूत
संपादक राष्ट्र चेतना पत्रिका
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