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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

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“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, January 11, 2021

सोनू पांडेय ( जमशेदपुर , झारखण्ड ) : पोटली में


पोटली में

जुगनू बाँध लाया हूँ मैं पोटली में,
मैं रोशनी लाया हूँ अपनी पोटली में,
तेरी आँखें चौंधिया जायेंगी इसे देखकर,
कुछ ऐसा लाया हूँ मैं पोटली में।
थक कर क्यूँ बैठा है जमाने से,
ले उम्मीद लाया हूँ मैं पोटली में।
खो जाने दे मुश्किलों को मातम में,
जश्न - ए - उल्फत लाया हूँ मैं पोटली में।
शिकवे शिकायत परे रख ज़रा,
देख मुहब्बत लाया हूँ मैं पोटली में।
एक ख्वाब टूट गया तो हारा बैठा है,
ख़्वाबों का गुलशन लाया हूँ मैं पोटली में।
ग़म के जमाने को अब अलविदा कह दे,
के खुशनुमा माहौल लाया हूँ मैं पोटली में,
मौत तो आएगी जब आनी होगी,
उसके लिए भी कुछ ख़ास लाया हूँ मैं पोटली में।
कभी वक्त मिले तो टटोल लेना शौक से
के और क्या क्या लाया हूँ मैं पोटली में।

सोनू पांडेय , जमशेदपुर , झारखण्ड


सूचना : 

यह रचना राष्ट्र चेतना पत्रिका के 06 अंक में भी प्रकाशित की गई है ।
यह अंक  दिनांक 11 जनवरी 2021 , सोमवार को प्रकाशित हुआ था ।


धन्यवाद
सूरज सिंह राजपूत
संपादक राष्ट्र चेतना पत्रिका

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