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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Sunday, January 17, 2021

आनंद बाला शर्मा , झारखंड : बस एक बार


बस एक बार

बस एक बार
कुछ ऐसा हो जाए
समय बहने लगे
विपरीत दिशा में
फिर खेलूं
अठखेलियाँ बचपन की
माता-पिता की गोद में
मचल कर करूँ
एक बार फिर जिद
चाँद को पाने की

बस एक बार
आसमान में उड़ती
पतंगों की डोर बनूं
तनूं ऐसे कि पतंग 
न फटे कोई 
न कटे कोई 
लहराए परचम की तरह
आकाश में
सदा सदा के लिए 

बस एक बार
फिर 
दस्तक दूँ
मन के द्वार पर
खुल जाएँ कपाट मन के
बहने दूं वह सब
जो जमा हुआ है
मन की तलहटी में
काई की तरह

बस एक बार
कुछ ऐसा हो जाए
बनूं पंछी
पंख खोले
भरूं उड़ान 
तोड़ दूं इस भ्रम को
कि क्षितिज 
को पा नहीं सकते।


आनंद बाला शर्मा , झारखंड

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