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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

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“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Friday, January 15, 2021

सूरज सिंह राजपूत ( जमशेदपुर , झारखंड ) : शीर्षक : भूख भाग - 2

शीर्षक : भूख भाग - 2

मुझे बेशक गुनहगार लिखना
साथ लिखना मेरे गुनाह,
हक की रोटी छीनना ।
मैंने मांगा था,
किंतु,
मिला तो बस,
अपमान,
संदेश,
उपदेश,
उपहास,
और बहुत कुछ ।
जिद भूख की थी,
वह मरती मेरे मरने के बाद ।

इन,
अपमानो,
संदेशों,
उपदेशो,
उपहासो,
से पेट न भरा,
गुनाह न करता
तो मर जाता मैं,
मेरे भूख से पहले ।
मुझे बेशक गुनहगार लिखना
लिखना,
मैं गुनहगार था,
या बना दिया गया ।

हो सके तो,
लिखना,
उस कलम की,
मक्कारी,
असंवेदना,
चाटुकारिता,
जिसकी
नजर पड़ी थी,
मुझ पर मेरे गुनाहगार
बनने से पहले
लेकिन,
उसने लिखा मुझे,
गुनहगार बनने के बाद ।

- सूरज सिंह राजपूत , जमशेदपुर , झारखंड



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