वही बेकार के क़िस्से वही बेकार की बातें,
परेशां कर रही नाहक़ हमें संसार की बातें!
दिखा सकते थे हम भी तितलियों को फूल के कांटे,
मगर हम को नहीं आई कभी तकरार की बातें!
कभी जो तू मिले मुझको समंदर के किनारे पर,
तेरे काँधे पे सर रख कर करूँ मझधार की बातें!
मैं बरबादी की ख़बरों को सदाक़त मान लूँ कैसे,
बहुत झूठी निकलती हैं सुनों अख़बार की बातें!
बड़ा आसान है कहना बड़ा आसान है सुनना,
दरीचे में खडे होकर समंदर पार की बातें!
प्रिया सिंह , लखनऊ , उत्तर प्रदेश
Thank you so much 😊🙏
ReplyDeleteवाह वाह बहुत ही शानदार अद्भुत
ReplyDeleteवाह बहुत खूब लाजवाब ग़ज़ल बेहद उम्दा
ReplyDelete