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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Thursday, January 14, 2021

प्रिया सिंह ( लखनऊ , उत्तर प्रदेश ) : बहुत झूठी निकलती हैं सुनों अख़बार की बातें


वही बेकार के क़िस्से वही बेकार की बातें, 
परेशां कर रही नाहक़ हमें संसार की बातें!

दिखा सकते थे हम भी तितलियों को फूल के कांटे,
मगर हम को नहीं आई कभी तकरार की बातें!

कभी जो तू मिले मुझको समंदर के किनारे पर,
तेरे काँधे पे सर रख कर करूँ मझधार की बातें! 

मैं बरबादी की ख़बरों को सदाक़त मान लूँ कैसे,
बहुत झूठी निकलती हैं सुनों अख़बार की बातें!

बड़ा आसान है कहना बड़ा आसान है सुनना,
दरीचे में खडे होकर समंदर पार की बातें!

प्रिया सिंह , लखनऊ , उत्तर प्रदेश

3 comments:

  1. वाह वाह बहुत ही शानदार अद्भुत

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  2. वाह बहुत खूब लाजवाब ग़ज़ल बेहद उम्दा

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