मां! अक्सर ऐसी ही होती है ।
अभी-अभी तो कह रही थी
कि मेरा अब कोई बेटा नही
पर जरा सी चोट क्या लगी उसे
गले से लगाकर पुचकारने लगी
कब नहीं चिंता बेटे की
माँ को होती है ?
डांटती है, फटकारती है
कई-कई बार दुत्कारती है
पर अंत में उसे
गले से लगा लेती है
मां! अक्सर ऐसी ही होती है ।
ठंड से ठिठुरती हुई रात में
पुरानी फटी चादर ओढ़ती है
जो पैसे बचे रहते है
उन पैसे से बेटे के लिए
स्वेटर खरीद देती है
कुछ भी नही कहती है
चुपचाप सब कुछ सहती है
अपने बेटे से अथाह प्रेम करती है
दर्द हो उसे तो खुद रोती रहती है
मां! अक्सर ऐसी ही होती है ।
खुद बासी नून भात खाती है
बेटे को ताजा रोटी खिलाती है
जरा सी हिचकी क्या आई बेटे को
झट से उसे पानी पिलाती है
पीठ थपथपा, आंसू पोंछ लेती है
एक बेटे को सबसे ज्यादा
उसकी मां ही समझती है
मां! अक्सर ऐसी ही होती है ।
संतोष कुमार वर्मा ' कविराज '
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
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