शीर्षक : दाग मेरे दामन पर होगा
चाँद कहा था तुमको लेकिन
दाग मेरे दामन पर होगा,
क्यों साथ तुम्हारा दिया नहीं
मुझसे प्रश्न यही दुनिया का होगा ।
तुम हार रही हो मृत्यु से
मैं हार रहा हूँ जीवन से,
तुम खोज रहीं वियोग के अवसर
मैं ढूँढ रहा संयोग के अवसर ।
तुम डूब रही हो निशा स्वप्न में
मैं तैर रहा हूँ दिवा स्वप्न में,
हम दोनों की इस प्रीति में
बस इतना अंतर होगा ।
चाँद कहा था तुमको लेकिन
दाग मेरे दामन पर होगा।
तुम माँग रहीं मुझको शिव से
बनारस के हर मन्दिर में,
मैं माँग रहा तुम्हें कृष्ण से
बरेली के हर मन्दिर में,
तुम राधा-मीरा की उपमा हो
मैं उर्मिले-शकुन्तला उपासक हूँ,
तुम श्याम वर्ण की मेघा हो,
मैं, तुम्हें ताकता चातक हूँ
यह अमर प्रेम इस अन्तर्मन का
अब कभी नहीं ओझल होगा
चाँद कहा था तुमको लेकिन
दाग मेरे दामन पर होगा।
तुम कहतीं मुझको आभूषण
श्रृंगार समय सम्मुख दर्पण में,
मैं कहता तुमको अलंकार,
अपनी कविता, कहानी, लेखन में।
तुम याद मुझे करती हो हर क्षण
मैं भूल नहीं पाता तुम्हें इक क्षण,
तुम जल रहीं विरह व्याकुलता में
मैं बुझ रहा तुम्हारी चिन्ता में।
ऐसा प्रेमी युगल किसी युग में
कभी देखा-सुना नहीं होगा
चाँद कहा था तुमको लेकिन
दाग मेरे दामन पर होगा।
चाँद कहा था तुमको लेकिन
दाग मेरे दामन पर होगा।
क्यों साथ तुम्हारा दिया नहीं
मुझसे प्रश्न यही दुनिया का होगा ।
गौरव हिन्दुस्तानी
(बरेली, उत्तर प्रदेश )
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