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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Thursday, August 20, 2020

कविता : ताज के सामने ( प्रीति शर्मा "असीम", नालागढ, हिमाचल प्रदेश प्रदेश )


ताज के सामने

ताज .....के सामने ,
छाते में ,
दुकान सजाए बैठा है।

वह एक आम आदमी है।
हर किसी के ,
सपने को खास बनाए बैठा है।

ताज के सामने ,
छाते में दुकान से सजाए बैठा है।

तस्वीरें बनाता है ।
ताज के साथ सबकी,
वह सब की,
एक खूबसूरत,
यादगार सजाए बैठा है।

वाह री !!! कुदरत
जिंदगी की हकीकत....???

मौत ..कब्र में सोई है ।
जिंदगी... छाते के नीचे ,
अपनी दिहाड़ी के लिए रोई है।


प्रीति शर्मा "असीम"
नालागढ, हिमाचल प्रदेश प्रदेश 



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