महामंत्र : 1
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थ - घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूर्ण करने की कृपा करें।
महामंत्र : 2
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
अर्थ - विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है ; हे गणनाथ ! आपको नमस्कार है ।
महामंत्र : 3
अमेयाय च हेरम्ब परशुधारकाय ते ।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः ॥
अर्थ - हे हेरम्ब ! आपको किन्ही प्रमाणों द्वारा मापा नहीं जा सकता, आप परशु धारण करने वाले हैं, आपका वाहन मूषक है । आप विश्वेश्वर को बारम्बार नमस्कार है ।
महामंत्र : 4
एकदन्ताय शुद्घाय सुमुखाय नमो नमः ।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने ॥
अर्थ - जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करनेवाले हैं, उन शुद्धस्वरूप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है ।
महामंत्र : 5
एकदंताय विद्महे। वक्रतुण्डाय धीमहि।
तन्नो दंती प्रचोदयात।।
अर्थ - एक दंत को हम जानते हैं। वक्रतुण्ड का हम ध्यान करते हैं। वह दन्ती (गजानन) हमें प्रेरणा प्रदान करें।
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