यादें
ऐसी यादें,
जो "जीवन "को पुरा कर गई
दे गई मुझे जीने की वजह।
तूम मुझे "जान "कहते थे,
अब तुम मेरी "जान" बन गए हो।
बड़ा सुहावन था सफर तेरे प्यार का
तेरा, मेरे हर नखरे पर
ठहाके लगा के हँसना
सबसे खूबसूरत पन्नें बन गए हैं,
मेरी यादों किताब की ।
ऐ सुनोना,तेरा यह कहना
मैं देर करता नहीं, देर हो जाती हैं
इस बात पर भी,
मुझे प्यार आता हैं
क्या तुम समझ पाओगे ?
मैं नखरे दिखाती थी जानबूझ कर
ताकी तुम मुझे मना लोगे।
तुमने एक बात सीखा दी मुझे
अपने प्यार में,
तेरे सबक ने
मेरे दिल को बहुत दुखाया
पर यह सोच कर दिल शांत हो गया की
जिसे चाहो
उससे कुछ मत चाहो.......।
लक्ष्मी सिंह ( जमशेदपुर , झारखण्ड )
लाजवाब
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