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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Sunday, January 24, 2021

प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे ( मध्य प्रदेश ) : आज़ादी

आज़ादी

भारत माता की महिमा की,बात सुनाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

ख़ून बहा,क़ुर्बानी देकर,
जिनने फर्ज़ निभाया
वतनपरस्ती का तो जज़्बा,
जिनने भीतर पाया
हँस-हँसकर जो फाँसी झूले,वे नित भाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

सिसक रही थी माता जिस क्षण,
तब वे आगे आए
अपना जो घरबार छोड़कर,
शौर्यराह पर धाए
ब्रिटिश हुक़ूमत से लोहा लेने,निज प्राण गँवाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

आज़ादी पाई जो हमने,
उसको पोषित करना
हर जन,नित सुख से रह पाए,
सबका दुख है हरना
हर भारत के वासी में हम,देशभाव पाते हैं।
आज़ादी के मधुर तराने,नित हम गाते हैं।।

प्रो(डॉ) शरद नारायण खरे
प्राचार्य
शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
मंडला,मप्र - 481661

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