गन्तन्त्र दिवस पर
उठाके मस्तक छाती ताने
चलो आओ फहराये तिरंगा
नयी चुनौतियाँ कर स्वीकार
गुणगान जन गण मन करें
बंटे न कभी हिस्सों में हम
जोड़े हाथ यही वन्दन करें।
अपना भारत विश्व गुरू है
दुनिया की सृष्टि इससे
डर न भय जिगर में
कर रहा जग की अगवानी
संयम आस्था दृढ़ता
त्याग तपस्या की निशानी है।
शक्ति है है गौरव
भारत वासी आप्रवासियों का
जग में भारत विशेष है
देवी देवों की पवित्र भूमि
बसते है यहाँ राम कृष्ण
ऋषि मुनि ज्ञानी
ब्रह्मा विष्णु महेश है।
सूरज हमारा चाचा
चन्दा हमारा मामा
रिश्ता अति पुराना है
गंगा यमुना सरस्वती
अपनी अथाह पूंँजी
माँ भारत ब्रम्हांड है
संस्कृति सभ्यता की रानी है।
चाहे बनालो
धरती गगन को बही
स्याही सप्त सागर को
तब भी न लिखी जाय
गाथा रहेगी अधुरी
कलम बनालो
चाहे वन को।
कहानी इतनी पुरानी है।
झुके न शीश
न झुके तिरंगा
जय भारत माता।
गोवर्धन सिंह फ़ौदार "सच्चिदानंद", मॉरीशस
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