भारत माता के प्रहरी हम
हर स्वर का नव गीत रचें ।
आँखों में चमक लिये यों
दिलों को बस जीत चलें ।
गिरते उन्हें हम थाम लें
सपनों को साकार करें ।
दुश्मनों को ध्वंस करते
नई गति का संचार करें ।
'वंदे मातरम' का ताल हो
रगों में हो नव रक्त प्रवाह ।
'जय हिन्द' के रव में बसे
देश खातिर मरने की चाह ।
आओ भारत को सजायें
अब धरती को आबाद करें ।
घर- घर मुस्कुराता चेहरा हो
अंधेरे से उन्हें आजाद करें ।
राजमंगल पाण्डेय ( जमशेदपुर, झारखण्ड )
No comments:
Post a Comment