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भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, December 24, 2018

दिनांक 23 दिसम्बर 2018 को जलेस का वनभोज कार्यक्रम जादूगोड़ा में संपन्न हुआ ।


दिनांक 23 दिसम्बर 2018 को जलेस का वनभोज कार्यक्रम जादूगोड़ा में संपन्न हुआ ।

ईस अवसर पर संगम साहित्य परिषद् के तीन कवि कुमार मनीष  , बाल कृष्ण मिश्र , चंद्रकांत त्रिपाठी ' चंदन ' भी शामिल हुए ।

सभी कवियों ने ओम दयाल राम मंदिर ( माटिगोडा ), नर्मदेश्वर मंदिर ( नरवा ) आदि का दर्शन किया ।

इस अवसर पर काव्य- गोष्ठी का भी आयोजन किया जिसमें कवियों ने एक से बढ़कर एक रचना प्रस्तुत की जो देश समाज व आम आदमी को समर्पित थी ।

काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता अशोक शुभदर्सी ने व संचालन नवीन अग्रवाल ने किया ।

मुख्य कवि श्यामल सुमन, अजय महताब , बाल कृष्ण, सुजय भट्टाचार्य, चंद्रकांत त्रिपाठी, अजय मुस्कान, राजदेव सिन्हा , बरून प्रभात  आदि उपस्थित रहें ।

अंत में डॉ उदय प्रताप हयात धन्यवाद ज्ञापन किया ।

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