वक्त के साथ
जो बदलता चाल
बेचता ईमान
आज वहीं कामयाब
जो वक्त के साथ
बदलता नहीं चाल
अड़ा रहता सत्य के साथ
टूट कर जाता बिखर
सत्य के राह में कांटा ही कांटा
मगर यह जानते - समझते भी
सत्य के राही छोड़ते नहीं राह
लड़ते - मरते चलते रहते
निरंतर घाटा - चाटा सहते
इस विश्वास के साथ
सत्य मर कर भी मरता नहीं
बिखेरता रहता खाद
दिखाता रहता आईना
उतारता रहता झूठ का नकाब
सत्य के प्रताप का ही कमाल
बची हुई है आज इंसानियत
डगर रही है दुनिया
खिल रहे नये - नये फूल ।
राजेश देशप्रेमी , ( जमशेदपुर , झारखंड )
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