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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, February 15, 2021

ओम प्रकाश खरे , जौनपुर : ऋतु बसन्त है आई

ऋतु बसन्त है आई

                   ऋतु बसन्त है आई  !
      बहे समीर सुखद मतवाला।
      आया है ऋतुराज निराला।।
      अंग - अंग मादकता छाई।
       पोर-पोर जागे तरुणाई ।।

                   ऋतु बसन्त है आई !
       पुष्प खिले हैं डाली-डाली।
       कलियां झूम रहीं मतवाली।।
        महक रही अमराई  ।
        पिक पंचम सुर गाई ।।

                   ऋतु बसन्त है आई !
        मधुमय है ऋतुराज सुहाना।
        कर देता उर को दीवाना।।
        बही हवा पुरवाई।
        रह-रह पीर बढ़ाई।।

                   ऋतु बसन्त है आई !
         बसुधा के श्रृंगार सुहाये।
         वासन्ती चूनर अति भाये।।
         प्रकृति वधू मुस्काई।
          बजी कहीं शहनाई।।

                   ऋतु बसन्त है आई !
         माँ,का पूजन हो, वंदन हो।
         वाणी का शत अभिनंदन हो।।
        मंगलमय तिथि आई।
        सृजनशीलता लाई।।

                   ऋतु बसन्त है आई !

ओम प्रकाश खरे , जौनपुर

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