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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, October 12, 2019

माँ हूँ ना इसीलिए शायद ममता की सज़ा दोगे ( प्रिया सिंह, लखनऊ )



माँ हूँ ना इसीलिए शायद ममता की सज़ा दोगे !

क्या फायदा आज पूजते हो कल जला दोगे
आठवें दिन बाद ही मूर्ती को गंगा में बहा दोगे
बहुत कहते हो मां, बहन, बेटी, पत्नी है औरत
माँ हूँ ना इसीलिए शायद ममता की सज़ा दोगे

बना कर शक्तिस्वरूप मेरा ही आस्तित्व मिटाते हो
मत कहो पूजनीय,इससे सच्चाई का पता दोगे
क्यूँ  कहते हो बेटी बचाओ बेटी पढाओ समाज में
जब पता चलेगा बेटी का, गर्भ में ही मिटा दोगे

सोना बाबु करने वाली बहुत पसन्द है तुम्हे पता है
प्रेमिका तो ठीक, पत्नी बनूँगी तो सब जता दोगे
बना कर दुल्हन बस पैदा करने के लिए "बाद"
घर की सजाई हुई मूर्ती की तरह बना दोगे

तुम कहते हो इज्जत होती है घर की बेटी साहब
घर से निकल कर किसी को भी वैश्या बना दोगे
क्या फायदा आज पूजते हो कल जला दोगे
आठवें दिन बाद ही मूर्ती को गंगा में बहा दोगे

प्रिया सिंह, लखनऊ

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