पलकों से करो सपने बाहर
मेहनत से उन्हें साकार करो
मुश्किलें चाहे आये कितनी
हिम्मत कर आँखें चार करो।
तुम देश की देश तेरी अमानत
कभी आँच न इसपर आने दो
हालात चाहे कैसी भी हो
सर अपना न कभी झुकने दो।
पढ़ो लिखो विवेकी बनो
जग में उँचा नाम करो
हर किसी को मिले हक उसका
खुश रहो सदा सबको खुश रखो।
क्षणभंगुर है मानव जीवन
पल हर पल से तुम स्नेह करो
करना है जो तुम कर लो आज
न कल का इंतजार करो।
एक जुट में बांधो जग को
पर सेवा परोपकार करो
प्रकृति स्वांस है शक्ति है
सदैव इसका ध्यान रखो।
लो संकल्प विजय का
आत्मसाक्षात्कार करो
सुधार करो कमियों का
सिद्धांतों के साथ चलो।
गोवर्धन सिंह फ़ौदार ' सच्चिदानंद ' , मॉरीशस
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