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भगत सिंह
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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Sunday, January 17, 2021

अंशु आँचल सिंह , पूरणियाँ : मकर संक्रांति


मकर संक्रांति 

शनैः शनैः सूर्य भी बढ़ रहा है
मकर का चक्कर चल रहा है

धूप के ताप से गुलदाऊदी का
मुखड़ा गुस्से में झुलस रहा है

बगल में फूला गुलाब भी तो
अपना दिनमान गिन रहा है

अपने पंखुड़ियाँ सुकड़ाकर
सूर्य को टूक -टूक देख रहा है

धरती  थोड़ी सी गरमायी है
छोटी चीटी भी बौखलायी है

कस - कर मेरे ही हाथों को
अपने मुख से धर चबायी है

शीत में सहमी धरती पर भी
अब धूल का चन्दन हो रहा है

धूल में सन -सन गौरैया भी
माघ में फागुनी खेल रही है।।

अंशु आँचल सिंह , पूरणियाँ

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