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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Thursday, February 11, 2021

आम्बदान जवाहर दान देवल , आलमसर : किसान आंदोलन की असली कहानी

किसान आंदोलन की असली कहानी

किसान रोळण रची कांमना काचड़ कूटा कुरळावै ।
देस द्रोही मिळकर सारा आंदोलन में अरड़ावै।
आठ आठ सौ रुपिया देवे हाजरी थूक रा आंसू ठावै ।
आडतिया अर दलाल देस रा भाड़ भड़ुवत सूं भरमावै ।(१)

द्विवेस भावना छेड़ देस में ओ चोर किसो कूड़ चमकावै ?
सैनिक सासन लगा सांतरौ चेक क्यों नी करवावै ?
एक एक री मांग आईडी आंरे खेटर क्यों नी खड़कावै ?
जोर आळा ने जेल जमाकर जूत क्यों नी जरकावै ।(२)

राज काज सूं ऐक ही वीनती साची रीत समझावै ।
आंदोलन री जो करे तैयारी बिन पहचान क्यों बुलवावै ?
पहलो सबरो करो परिचय फिर बाद में अनुमति  दिरावै ।
जो हकीकत है हकलायक तो ही वाद विवाद वतावै ।(३)

आई एस सूं लाया रुपया ओ रिस्वतरा रोट पकावै ।
मातम मांड मोत मुल्क में आ भारत नें क्यों भरमावै ।
राज काज में रोळा करे आंने शर्म क्यों नहीं आवे ?
फोज बुलाकर फोड़ो ऐसा झूठ जोर मिट जावे ।(४)

हे भारत के भव्य निर्माता सही कानून समझावो ।
जो रीत प्रीत में परखे न प्रजा वांनै विदेश भिजवावो ।
पाकिस्तान री करे पैरवी वांनै  गोली से उडवावौ ।
आम्बदान री इती अरज है अब देस में शान्ति लावौ ।(५)

आम्बदान जवाहर दान देवल , आलमसर

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