अज़ल से मुल्क़ पर हावी सियासत
छुपाए कब छुपी है ये हक़ीक़त
हमारे दिल में जब तक खौफ़ ज़िंदा
रहेगी हम पे ज़ालिम की हक़ूमत
उन्हीं का नाम अब तक सुर्ख़ियों में
वतन की करते हैं जो भी तिज़ारत
सुकूँ मैं बाँटता हूँ हर किसी को
जहां वालों मेरा मज़हब मोहब्बत
बग़ावत के ज़माने में है जीना
अगर तो छोड़नी होगी शराफ़त
बलजीत सिंह बेनाम , ज़िला हिसार ( हरियाणा )
हमारे दिल में जब तक खौफ़ ज़िंदा
ReplyDeleteरहेगी हम पे ज़ालिम की हक़ूमत...
क्या बात है !.
एकदम समय सापेक्षित !!