पराक्रम दिवश पर नेता जी को
करता हूँ कोटि कोटि नमन,
देश हेतु अर्पित हो जाय
अपना भी सारा जीवन।
सबसे पहले देश है अपना
नेता जी ने मार्ग दिखाया,
स्वतंत्रता के लिए उन्होंने
जंग का बिगुल बजाया।
आजादहिंद का बजा डंका
ब्रिटिश सरकार गया दहल,
हो गया भयभीत इतना
स्वतंत्रता देने की, की पहल।
देश का दुर्भाग्य नेता जी नहीं रहे
मौत पर छाए संशय के बादल,
किसी को भी विश्वास नहीं है
विमान हादसे में हुए थे घायल।
मोदी जी ने शुरू किया
पराक्रम दिवस कोलकता से,
जय श्रीराम के नारे भी लगे
नहीं हुआ बरदास्त ममता से।
मंच छोड़ हो गई विचलित
चिड़ गई श्रीराम के नाम से,
वोट बैंक साधने की साजिश
कट रही अपने अवाम से।
यमुना तिवारी व्यथित , ( जमशेदपुर , झारखंड )
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