आजादी के दीवाने थे।
जय हिंद के नारे से,
जोश भरा जवानों में,
अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ
गठन किया, आजाद हिंद फौज।
आजादी के हवन कुंड में,
जोश भरा था जवानों में,
" तुम मुझे खून दो,
मैं तुम्हें आजादी दूंगा"
ऐसे ओजपूर्ण नारों से,
उखाड़ फेंके थे अंग्रेजों को।
प्रश्न पूछता है सारा संसार ?
सत्ता की ऐसी क्या थी मजबूरी ?
किस षड्यंत्र के हुए थे शिकार।
बरसों बीत गए, हत्या थी या मृत्यु।
आप की गौरव गाथा को,
सुनाएंगे अपनी संतानों को,
आजादी के महानायक को
देश नमन करता है।
शत-शत नमन बारंबार नमन।
सरोज सिंह परमार ( झारखंड )
No comments:
Post a Comment