शीर्षक - वक्त
वक्त दुबारा नहीं आयेगा,
बदलना पड़ेगा स्वयं को।
न रूठो दूसरो के लिए,
खुद का आइना देख लो।
मंजिल नहीं मिलती यूं ही,
तलाशना पड़ता है, राह को।
कभी गिरकर कभी उठकर,
चलना होता है राहगीर को।
उम्मीद के बीज उगाये रखना,
मन में ढृंढ संकल्प ठान लो।
क्रोध की लय को बुझने देना,
पर हिम्मत न हारो, वक्त आने दो।
©
डोमन
निषाद, बेमेतरा, छत्तीसगढ़
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