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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Thursday, October 24, 2019

तु हीं बता ( बसन्त कुमार )


तु हीं बता

तेरा खत खोजें या अपनी खता खोजें
तुझे भूलाने को और हम क्या क्या खोजें ।

वो चेहरा जो उतरता नही निगाहों से
खुद को समझाने को कहाँ मुखौटा खोजें ।

तुझको चाहा ,तुझको हीं हमनें पूजा है
तु हीं बता की तुझ सा कहाँ खुदा खोजें ।

दर्द इतनी हसीन है तेरी मोहब्बत की
कोई बेवफा हीं इसकी फिर दवा खोजे ।

ऐसी दिवानगी की जिक्र और क्या करना
जो न काशी और न कभी काबा खोजे ।

© बसन्त कुमार
कोषाध्यक्ष , अखिल भारतीय साहित्य परिषद, जमशेदपुर

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