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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Tuesday, October 22, 2019

मन का अंधेरा करो तुम दूर ( निक्की शर्मा ‘ रश्मि ‘ , मुम्बई )



मन का अंधेरा करो तुम दूर

दीप जलाकर सबसे पहले
मन का अंधेरा करो तुम दूर
भूल गए हो इंसानों की प्रवृत्ति
रहते हो खुद से तुम दूर !

दया,ममता, प्रेम, करुणा सब
भूलकर तुम बैठे हो
इंसानों की शक्ल में क्यों
हैवानों सा तुम करते हो !

मन का मैल धुल जाने दो
नफरत को भी बह जाने दो
फिर से रोशन हो जाने दो
प्रेम के दीपक जल जाने दो !

© निक्की शर्मा ‘ रश्मि ‘ , मुम्बई

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