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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Wednesday, October 16, 2019

प्रकृति हमें क्या देती, सीमा मिश्रा


प्रकृति हमें क्या देती

खामोशी से खुशियाँ देती,
छाया देती, पानी देती !
आज जो बोया है तुमने,
हजार गुना वो वापिस देती !

शुद्ध हवा से जीवन देती,
सांसो में वो दम भर देती !
ठंड, पडे़, पावक देती,
शीतल हवा सघन देती !

मंद-मंद खुशबू देती,
स्वस्थ रहो सब फल देती !
बूंद बूंद को न तरसों तुम,
वो ऐसा सावन देती !

आने वाली पीढ़ी को,
एक विरासत फिर देती !
पंक्षी जो अब लुप्त हो गये,
उनको भी एक सुर देती !

© सीमा मिश्रा, देवरी, सागर मध्यप्रदेश


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