प्रकृति हमें क्या देती
खामोशी से खुशियाँ देती,
छाया देती, पानी देती !
आज जो बोया है तुमने,
हजार गुना वो वापिस देती
!
शुद्ध हवा से जीवन देती,
सांसो में वो दम भर देती
!
ठंड, पडे़, पावक देती,
शीतल हवा सघन देती !
मंद-मंद खुशबू देती,
स्वस्थ रहो सब फल देती !
बूंद बूंद को न तरसों तुम,
वो ऐसा सावन देती !
आने वाली पीढ़ी को,
एक विरासत फिर देती !
पंक्षी जो अब लुप्त हो गये,
उनको भी एक सुर देती !
© सीमा मिश्रा, देवरी, सागर मध्यप्रदेश
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