हिंदी
हिंदी ऐसी बोलिए,समझ सभी को आय।
हो भाषा सम्पर्क की,ऐसा करें उपाय।।
ऐसा करें उपाय,क्लिष्ट शब्दों को छाँटें।
जो हों सरल,सुपाच्य,उन्हें आपस में बाँटें।।
कह वसंत कविराय,बने माथे की बिंदी।
सब भाषा में श्रेष्ठ, तभी बन पाए हिंदी।।
© वसंत जमशेदपुरी
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