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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, September 14, 2019

हिंदी गरिमामय भाषा है ( माधवी उपाध्याय )

हिंदी गरिमामय भाषा है।



हिंदी   गरिमामय   भाषा   है।
प्रतिपल  इसमे  जिज्ञासा  है।।
राष्ट्र   की   पहचान  है  हिंदी
जन जन को इससे आशा है ॥

सुलभ,सुघड़,मृदुभाषी हिन्दी ।
मधुर -मधुर भावो से भरकर,
हम सब को जोड़े है हिन्दी ।
नित विकास की अभिलाषा है।।

तुलसी, सूर, रहीम, मीरा  से ,
बहती काव्य की रसधारा  है।
महादेवी, निराला, दिनकर,से
हिंदी की अनुपम परिभाषा है।।

हिंदी भाषा में निहित सदा है।
अपनी संसकृति और धरोहर ।।
हिन्दी को सतत् प्रवाहित कर ,
विश्व-पटल पर लाने की प्रत्याशा है।।

संस्कार हमारा अपनी  हिंदी।
व्यवहार हमारा अपनी हिंदी।।
अक्षुण्ण रहे पहचान हमारी ।
हिंदी  देती यही दिलासा है ॥

© माधवी उपाध्याय




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