हिंदी गरिमामय भाषा है।
हिंदी गरिमामय भाषा है।
प्रतिपल इसमे जिज्ञासा है।।
राष्ट्र की पहचान है हिंदी
जन जन को इससे आशा है ॥
सुलभ,सुघड़,मृदुभाषी हिन्दी ।
मधुर -मधुर भावो से भरकर,
हम सब को जोड़े है हिन्दी ।
नित विकास की अभिलाषा है।।
तुलसी, सूर, रहीम, मीरा से ,
बहती काव्य की रसधारा है।
महादेवी, निराला, दिनकर,से
हिंदी की अनुपम परिभाषा है।।
हिंदी भाषा में निहित सदा है।
अपनी संसकृति और धरोहर ।।
हिन्दी को सतत् प्रवाहित कर ,
विश्व-पटल पर लाने की प्रत्याशा है।।
संस्कार हमारा अपनी हिंदी।
व्यवहार हमारा अपनी हिंदी।।
अक्षुण्ण रहे पहचान हमारी ।
हिंदी देती यही दिलासा है ॥
© माधवी उपाध्याय
No comments:
Post a Comment