आग ( श्वेतांक कुमार सिंह ) उस आग से
तुम
बखूबी परिचित हो
जो
टिके हुए बर्फ से
बहती
नदी बनाता है,
खूबसूरत
झीलों को
बादलों
में सजाता है।
उस
आग से भी
जरूर
रूबरू होना
जो
करोड़ों जिस्मों को
बेरहमी
से पकाकर
उनके
ताप से
पसीने
का सैलाब बहाता है।
© श्वेतांक कुमार
सिंह , बलिया / कोलकाता
प्रदेश संयोजक
NVNU फाउंडेशन
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आपका हार्दिक स्वागत है !!
भगत सिंह
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भगत सिंह
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Saturday, September 21, 2019
आग ( श्वेतांक कुमार सिंह )
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