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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, September 21, 2019

आग ( श्‍वेतांक कुमार सिंह )

आग ( श्‍वेतांक कुमार सिंह )


उस आग से
तुम बखूबी परिचित हो
जो टिके हुए बर्फ से
बहती नदी बनाता है,
खूबसूरत झीलों को
बादलों में सजाता है।

उस आग से भी
जरूर रूबरू होना
जो करोड़ों जिस्मों को
बेरहमी से पकाकर
उनके ताप से
पसीने का सैलाब बहाता है।

© श्‍वेतांक कुमार सिंह , बलिया / कोलकाता
प्रदेश संयोजक NVNU फाउंडेशन


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