सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ( अमित डोगरा पी एच.डी (शोधार्थी ),गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर ) |
सत्य और अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
देश के स्वतंत्रता संग्राम और आजादी के लिए अपने प्राणों
की आहुति देने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
की पुण्यतिथि को पूरे देश में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है । वर्ष
1948 में महात्मा गांधी की नाथूराम गोडसे ने
गोली मारकर हत्या कर दी थी,और उनकी हत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था । इस दिन
महात्मा गांधी की समाधि स्थल राजघाट पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,रक्षा
मंत्री राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपने कर कमलों से श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।
महात्मा गांधी की याद में पूरे देश में सभाएं आयोजित की जाती है। एक कार्यक्रम के दौरान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी जनसाधारण से अपील की है ,कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि
के अवसर पर 2 मिनट का मौन अवश्य धारण करें । गांधी जी ने देश को आजाद कराने के लिए
सत्याग्रह का रास्ता अपनाया, वे सदैव अहिंसा में विश्वास रखते थे, अपने जीवन काल के
दौरान उन्होंने जनसाधारण को इसी का पाठ पढ़ाया । अफ्रीका से वापस आकर गांधीजी ने स्वयं
को स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में झोंक दिया। 1915 के बाद महात्मा गांधी ने अंग्रेजो
के खिलाफ एक के बाद एक आंदोलन आरंभ किए, 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया, फिर 1930 में
नमक के अत्याचारी कानून को तोड़ने के लिए आंदोलन किया ,दलितों के पक्ष में बढ़-चढ़कर
भाग लिया, उसके बाद 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन
चलाया, आखिर उनके अनथक प्रयत्नों के आगे अंग्रेजों को अपनी हार माननी ही पड़ी और
15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद हो गया। महात्मा गांधी जी ने
जिस रास्ते पर चलकर भारत को आजाद कराया ,वह
रास्ता सत्य और अहिंसा पर आधारित था। उनका प्रयोग हमारे जीवन के कई पडावों में अत्यधिक
मददगार साबित होता है। उन्होंने सदैव अच्छा व्यवहार करने, सच बोलने की सीख और जरूरतमंद
लोगों की सहायता करने की शिक्षा दी। महात्मा गांधी जी सत्य को ही भगवान मानते थे ।
वह जाति, धर्म, लिंग के आधार पर किए जाने वाली भेदभाव के सदैव खिलाफ थे ।महात्मा गांधी
सत्य और अहिंसा को ही मानवता का सबसे कीमती उपहार मानते है अगर हम महात्मा गांधी के
अनथक प्रयासों को सार्थक करना चाहते हैं और भारत को उन्नति और समृद्धि की राहों की
ओर ले जाना चाहते हैं ,तो हमें उनकी सीख पर चलना होगा ,तभी हम एक उज्जवल भारत के सपने
को पूर्णता पूरा कर सकते हैं और समाज में व्याप्त बुराइयों का मुकाबला डट कर कर सकते
हैं।
अमित डोगरा
पी एच.डी (शोधार्थी
),गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर
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