अनुरक्ति
रुप दरस प्रेम सनी
अनंत आकांक्षा मूक मौनी ।
हृदय स्थित तुलसी मंजरी
छवि दर्शाती नयन सीकरी।
शांत शैशव हुआ तरुण
स्मृति रंगती पट अरुण।
चढ़ता ज्वर प्रेम का
सहस्त्र सूर्य तेज सा।
ह्रदय पास बजता शंख
स्पृहा उड़ते मुक्त पंख।
मन मयूरी मुग्ध विभोर
अशेष खींचें प्रबल डोर।
भाषित होता नूतन सोपान
प्रेम गाता परिपक्व गान।
अलिप्त भी लिप्त अनुपम
संज्ञान निज अंश सम।
डॉ. सीमा भट्टाचार्य , बिलासपुर
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