समस्यायें सारी सरल हो गई है ।।
हर शै में लगता कि तुम ही बसे हो ।
तुम्हें देख आँखे सजल हो गई है ।।
बसे ही रहो आप दिल मे हमारे ।
भावनाये सारी विमल हो गई है ।।
तुम्ही एक साँचे हो प्रियतम हमारे ।
तेरे बिन तो खुशियां गरल हो गई है ।।
मिलता रहे बस सदा प्यार तेरा ।
तभी दिल की आहें तरल हो गई है ।।
मुझे हर "निमिष"बस तेरी याद आये ।
चले आओ चाहें विकल हो गई है ।।
निमिष टण्डन , फर्रुखाबाद
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