बीती रात कमल दल फूले
बीता रात कमल दल फूले।
नयनों में स्वप्न आ -आ झूले।।
बीती रात कमल दल फूले।
चांद- चकोरी प्रेम रस घोलें।
शब्द पंखुड़ियां हँस -हँस पट खोलें।
बीती रात कमल दल फूले।
निंदिया आ -आ आंखें मूंदे।
इन्तज़ार की घड़ियां अंखियां खोलें।
शब्द पंखुड़ियां चुप -चप बोलें।
बीती रात कमल दल फूले।
तुम आओंगें.....मन यह बोलें।
बीती रैना फिर..... हौले -हौले।।
बीती रात कमल दल फूले।
हुए अम्बर को,किरणों के घेरे।
सो गई रात, दिन के हुये नये फेरे।।
बोझिल चकोरी और चांद के डोरे।
शब्द पंखुड़ियों ने रो -रो धोयें।
बीती रात कमल दल फूले।
हृदय पपीहा शूलों पर झूले।।
प्रीति शर्मा "असीम "
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश
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