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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, November 30, 2020

बीती रात कमल दल फूले : प्रीति शर्मा "असीम "


बीती रात कमल दल फूले


बीता रात कमल दल फूले।
नयनों में स्वप्न आ -आ झूले।।


बीती रात कमल दल फूले।
चांद- चकोरी प्रेम रस घोलें।
शब्द पंखुड़ियां हँस -हँस पट खोलें।


बीती रात कमल दल फूले।
निंदिया आ -आ आंखें मूंदे।
इन्तज़ार की घड़ियां अंखियां खोलें।
शब्द पंखुड़ियां चुप -चप बोलें।


बीती रात कमल दल फूले।
तुम आओंगें.....मन यह बोलें।
बीती रैना फिर..... हौले -हौले।।


बीती रात कमल दल फूले।
हुए अम्बर को,किरणों के घेरे।
सो गई रात, दिन के हुये नये फेरे।।


बोझिल चकोरी और चांद के डोरे।
शब्द पंखुड़ियों ने रो -रो धोयें।
बीती रात कमल दल फूले।
हृदय पपीहा शूलों पर झूले।।


प्रीति शर्मा "असीम "
नालागढ़ हिमाचल प्रदेश

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