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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Thursday, October 1, 2020

स्त्री होने का सम्मान : संपदा बरनवाल ( पटना, बिहार )




स्त्री होने का सम्मान

आज बस उसकी सांसे ही नहीं रुकी 
इस कलम की धार भी रुक सी गई है
क्या लिखूं, कैसे लिखूं ?
जैसे उसकी हड्डियों की तरह ही
इसकी नींव भी टूट सी गई है !

आज उस ईश्वर से पूछूंगी,
स्त्री की काया, पुरुष का पुरुषत्व
जब तूने ही रचा है
हे ईश्वर, 
फिर हर बार लज्जित होती
औरत की स्मिता, 
सिद्ध होता पुरुष का पौरुष 
तुझे कैसे जचा है ?

हे ईश्वर, 
जो तू सच में है विद्यमान
तो क्यों नहीं बनता, 
हर द्रोपती का श्याम ?
वरना छीन ले सृष्टि से 
स्त्री होने का सम्मान !

 संपदा बरनवाल ( पटना, बिहार )

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