शीर्षक : सैनिक
जन्मे हैं इस भारत भू पर
कर्ज सदा सिर पर रहा है माँ का।
इसने ही पाला है और दुलारा है,
दुख दर्द में हाथ रहा सब पर माँ का।
मातृ ऋण से उऋण वो ही होता है,
जिसने लजाया नही दूध माँ का,
वो ही सपूत है सच्चा वसुधा का,
बलिदान दे मान बढ़ाया है माँ का।।१।।
प्रतिशोध की ज्वाला लिए लड़ता है वो,
सिंह के जैसी दहाड़ लगाये।
डटकर युद्ध करे सीमा पर,
शत्रु को गोली से मार भगाये।
लेता है लोहा अरि से वो जब तक,
प्राण है तब तक ना घबराये।
गोली का उत्तर गोली से देकर,
माता के दूध का कर्ज चुकाये।।२।।
पत्नी के हाथों में मेंहन्दी हरी थी,
मेहन्दी का लड्डू हथेली में ही था।
हाथों के कंडे खुले भी नही थे पर,
पति का बोर्डर पर जाना सही था।
सुहाग रात भी थी अब तक अधूरी,
परमानन्द भी अधूरा ही था।
छोड़ के सेज उठा झट सैनिक ,
जज्बा देश भक्ति का उर में पला ही था।।३।।
वन्देमातरम् कह करके वो,
माता की गोदी में सो जाता है।
देश का मान बढ़ा करके वो,
खुद भी अमर पद को पाता है।
छोड गया परिवार की खुशियाँ,
नव व्याहित पत्नी को छोड़ गया वो।
छोड़ गया अपनी बूढ़ी माँ ,
बाप से नाता तोड़ गया वो।।४।।
देवकी दर्पण
रोटेदा जिला बून्दी( राज.)
No comments:
Post a Comment