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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, August 29, 2020

कविता : "सरहद के सिपाही" ( पूजा कुमारी बाल्मीकि, पश्चिम बंगाल - दुर्गापुर )


शीर्षक-"सरहद के सिपाही"

मोहब्बत उनकी सरहद
सरहद ही उनकी माता हैं।
अख़बार के साथ चैन की चाय,
उनके नसीब में कहां आता है।

घर से कफ़न साथ
बांध के निकला करते हैं।
और हम बस कुछ पल की,
श्रद्धांजलि दे, बलिदान उनके,
भुला दिया करते हैं।

हर्ष से कहती हूं,
कोई वर्ष नहीं जो,
देश के जवान को बूढ़ा कर दे,
कोई हथियार नहीं
जो जवान को मिट्टी से जुदा कर दे।

सिंह देश है, वे
कभी मरा नहीं करते,
अपनी गर्जना करते, और
सहीद हुआ करते हैं,

देश का झंडा,
सम्मान से लहराता रहे,
इस ईप्सा से,
वीर हमारे गोलियों से छलनी,
सीना लेकर भी,
तिरंगा फहरा दिया करते हैं।

पूजा कुमारी बाल्मीकि
पश्चिम बंगाल- दुर्गापुर

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