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भगत सिंह
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भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Saturday, August 29, 2020

खेल दिवस पर विशेष ( बिमल तिवारी "आत्मबोध" , देवरिया, उत्तर प्रदेश )

।।खेल दिवस पर विशेष।।

खेल में नहीं होता हैं कोई हिन्दू मुसलमान
खेल में नहीं होता हैं ऊँचा नीचा महान
खेल हैं सद्भावना मिल जाता हैं जिसमें सभी
खेल में बन जाता हैं इंसान बस इंसान

खेलनें वालों ने दुनियाँ एक कर दी खेलकर
खेल में रख दिया मन का गांठ खोलकर
मिटा दिया नफ़रत बुराई इंसान के दिमाग से
खेल ख़ुदा सा कर दिया संसार को सब एककर

खेलनें चलों सभी धर्म ज्ञान छोड़कर
हिंसा नफ़रत बवाल की बयान सब छोड़कर
ज्ञान कर्म ध्यान में संसार कुरुक्षेत्र हैं
ज़न्नत बनानें के लिए आ जाओ खिलाड़ी बनकर

भय दुःख शोक का खेल ही उपचार हैं
काम क्रोध रोग का खेल ही निदान हैं
मोक्ष मुक्ति का ज़गह बस खेल का मैदान हैं
स्वस्थ तन मन काम का खेल ही परिणाम हैं

नही जीत हार ज़िंदगी खेल ने बता दिया
मिलकर गलें एक दूसरे से बाद में दिखा दिया
मैदान यदि संसार सब खेल का हो जाये तो
प्रेम एक मिलन की गंगा खेल ने बहा दिया ।।

©बिमल तिवारी "आत्मबोध"
            देवरिया उत्तर प्रदेश

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