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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

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Wednesday, June 30, 2021

कविता : खुद को गढ़ना होगा || प्रीति शर्मा "असीम" ( नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश )

 

खुद को गढ़ना....होगा

अपनी तकदीर से ,
अब तुम को,
खुद ही लड़ना होगा।
तुम हाथों की ,
कठपुतली नही।
अपने अस्तित्व को,
खुद ही गढ़ना होगा।
खुद ही लड़ना होगा।

अपनी तकदीर से ,
अब तुम को,
युगों- युगों से ,
हाथों के कारागृह बदलते आये है।
तुम को कैसे जीना है।
यह सीखाने वाले,
बस नाम बदलते आयें है।

अपने नाम को,
नारी तुम....
आयाम नये भर दो।
खोखले आडंबरों पर  ,
पलट अब वार जरा कर दो।

खुद को गढ़ कर,
अपनी पहचान 
बिना .......
किसी के मोहताज तुम कर दो।

जीवन को असितत्व देती हो।
तुम क्यों रहो मोहताज।
खुद को गढ़ लो।
फौलाद से,
तोड़ दो अबला का ताज।

प्रीति शर्मा "असीम"
 नालागढ़ ,हिमाचल प्रदेश

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