खास औरतें
पचास पचपन वय की औरतें
कुछ खास होती हैं
खिले हुए पूरे बगीचे सी
आत्मविश्वास से भरी
आंखों मे चमक
और चेहरे पर हंसी लिए होती हैं
ये औरतें खास होती हैं।
क्योंकि ये महकती है
तो घर महकता है
ये चहकती हैं तो
सब कुछ चहकता है।
ये डरती नहीं हैं
सहमती भी नहीं हैं
पराए घर की परिभाषा बदल
अपने घर में रहतीं हैं
ये औरतें कुछ खास होती हैं।
बात -बात पर हंसती हैं
बीते वक्त के किस्से
हंस हंसकर शेयर करती हैं
जोश में भरी रहती हैं
जवानी को मुट्ठी में
दबाए रखती हैं।
ये उस पायदान पर खड़ी होती हैं
जहां सारा आकाश
मुट्ठी में थामे रहती हैं।
ये औरतें सचमुच खास होती हैं।
- सुधा गोयल
कृष्णा नगर,डा.दत्ता लेन, बुलंदशहर-२०३००१
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