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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Wednesday, June 9, 2021

कविता : खास औरतें || सुधा गोयल ( बुलंदशहर )

 


खास औरतें

पचास पचपन वय की औरतें
कुछ खास होती हैं
खिले हुए पूरे बगीचे सी
आत्मविश्वास से भरी
आंखों मे चमक
और चेहरे पर हंसी लिए होती हैं
ये औरतें खास होती हैं।

क्योंकि ये महकती है
तो घर महकता है
ये चहकती हैं तो
सब कुछ चहकता है।
ये डरती नहीं हैं
सहमती भी नहीं हैं
पराए घर की परिभाषा बदल
अपने घर में रहतीं हैं
ये औरतें कुछ खास होती हैं।

बात -बात पर हंसती हैं
बीते वक्त के किस्से
हंस हंसकर शेयर करती हैं
जोश में भरी रहती हैं
जवानी को मुट्ठी में
दबाए रखती हैं।
ये उस पायदान पर खड़ी होती हैं
जहां सारा आकाश
मुट्ठी में थामे रहती हैं।
ये औरतें सचमुच खास होती हैं।

- सुधा गोयल
कृष्णा नगर,डा.दत्ता लेन, बुलंदशहर-२०३००१

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