आपका हार्दिक स्वागत है !!

भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, October 28, 2019

चुन लिया ऐसा‌ शहर जो हादिसों की ज़द में है ( किशन स्वरूप )


चुन लिया ऐसा‌ शहर जो हादिसों की ज़द में है
हर बशर यूँ तो यहाँ पर मुश्किलों की ज़द में है

मैं,न कहता  था  कि दूभर ज़िन्दगी हो जायगी
हर क़दम पर रहगुज़र ये रहजनों की ज़द में है

क्या पता असबाब सालिम रह सकेगा या नहीं
दुश्मनों की ज़द में है,कुछ दोस्तों की‌ ज़द में है

आ  मुझे  मेरे  गुनाहों  की  सज़ा  ऐलान  कर
आजकल तो मुंसिफ़ी भी साज़िशों की ज़द में है

ज़िन्दगी तू ही बता क्या -क्या  दिया तूने मुझे
मेरी क़िस्मत का सितारा गर्दिशों की ज़द में है

सोच  में  तब्दीलियाँ अब तो ज़रूरी हो गयीं
क्या करें किरदार अपना बंदिशों की ज़द में है

कौन रखवाली करेगा इस चमन की ऐ'स्वरूप'
हर तरफ बादे-सबा अब सिरफिरों की ज़द में है

स्वरूप

No comments:

Post a Comment