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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, June 17, 2019

शिक्षा एक अंजूरी दे दो - ( श्यामल सुमन )


शिक्षा एक अंजूरी दे दो

कुछ करना है देश की खातिर,
जीना मरना देश की खातिर,
हो माटी की खुशबू जिसमें हमको वो कस्तूरी दे दो।
एक गुजारिश है दिल्ली से सबके हाथ मजूरी दे दो।।

मानव श्रम और संसाधन सँग उर्जा है भरमार यहाँ।
वही नशेड़ी, आतंकी सँग जुड़ते जो बेकार यहाँ।
रोटी, पानी सभी का हक है, कम से कम वो पूरी दे दो।
एक गुजारिश है दिल्ली से सबके हाथ मजूरी दे दो।।

शिक्षक खाना खिला रहे हैं सरकारी स्कूलों में।
नौनिहाल शिक्षा से वंचित इन सरकारी भूलों में।
नहीं बहुत तो जीने खातिर शिक्षा एक अंजूरी दे दो।
एक गुजारिश है दिल्ली से सबके हाथ मजूरी दे दो।।

नौजवान का देश है भारत तुम कहते हो मंचों से।
लेकिन वे जीते हैं कैसे पूछ सुमन सरपंचों से।
सबके जीवन के पहिये को चलने खातिर धूरी दे दो।
एक गुजारिश है दिल्ली से सबके हाथ मजूरी दे दो।।



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