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भगत सिंह
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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Wednesday, February 27, 2019

डॉ संजय पंकज

डॉ संजय पंकज

डॉ संजय पंकज

नाम              डॉ संजय पंकज 
जन्म तिथि     - 5 दिसम्बर 1961
जन्म स्थान    - वीरभूमि-बेरईं गांव, मुजफ्फरपुर जिला 

डॉ संजय पंकज साहित्य,पत्रकारिता और संस्कृति का परिचित नाम । मुजफ्फरपुर जिला के वीरभूमि-बेरईं गांव में 5 दिसम्बर 1961 में जन्म । कई चर्चित पुस्तकों के रचयिता जिनमें - यवनिका उठने तक,माँ है शब्दातीत,मंजर मंजर आग लगी है,सोच सकते हो,यहाँ तो सब बनजारे,शब्द नहीं माँ चेतना,समय बोलता है,शब्दों के फूल खिले कहानी । आलोचना,गीत,गजल,कविता के साथ ही रिपोर्ताज और यात्रा,संस्मरण लेखन में भी पहचान । कई अखबारों के लिए नियमित वैचारिक लेखन ।
राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत और सम्मानित। दूरदर्शन,आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से रचनाएँ प्रसारित ।

साहित्य संस्कृति की सम्मानित पत्रिका 'बेला' के संपादक ,जिसके संस्थापक- संपादक हिंदी गीत के शिखर पुरुष आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री थे ।

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