आपका हार्दिक स्वागत है !!

भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह
भगत सिंह

“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Friday, January 25, 2019

नरवा पहाड़ : साहित्य संगम द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी का आयोजन


दिनांक-23 जनवरी 2019 , कम्युनिटी सेंटर ( नरवा पहाड़ ) , साहित्य संगम द्वारा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।

माँ सरस्वती को माल्यार्पण कर सभी कवियों ने अपना स्थान ग्रहण किया ,
जादूगोड़ा के कवि गजलकार
श्री चंद्रकांत त्रिपाठी "चंदन" जी ने मनमोहक सरस्वती वंदना प्रस्तुत की l
" मां सरस्वती वरदान देती है l
हम सबको ज्ञान देती है "

साहित्य संगम के संयोजक श्री बालकृष्ण मिश्र ने सभागार को संबोधित करते हुए वहाँ उपस्थित सभी कवियों का आभार व्यक्त किया साथ गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर काव्य गोष्ठी मे सभी के उपस्थिति को नमन करते हुए नम आँखो से देश के वीर शहीदों को याद किया ।जमशेदपुर से आए अतिथि कवि गण का तहे दिल से स्वागत करते हुए आमंत्रण को स्वीकार करनेे हेतुु आभार व्यक्त किया ।

स्वागत भाषण देते हुए श्री आनंद पाठक जी ने सभी कवियों का स्वागत करते हुए कहा कि कवि और साहित्यकार दोनों ही समाज का आईना है ।

जमशेदपुर से आये कवि श्री बसंत कुमार जी के अध्यक्षता में श्री शशि ओझा जी ने गोष्ठी का संचालन किया ।
श्री भैरव रजक
" बात पते की कहता हूं , मैं रखिए अपने ध्यान मैं ।
मंदिर का निर्माण चाहिए , राम जन्म स्थान में ।"

श्री आनंद पाठक 
" जीवन है चार दिनों का इसे हंस कर बिता ले ।
मैं तुमको हंसा दूं , तू मुझको हंसा दे । "

श्रीमती ज्योति सिंह 
" कविता किसान "

श्री जय कुमार राणा 
" है कर्म बड़ा , है बड़ा तकदीर ।
मत ऊलझो कर लो तदबीर ।। "

श्री चंद्रकांत त्रिपाठी
" अंधेरों से लड़ने का जज्बा नहीं रखते l
हम ऐसे चरागों पे भरोसा नहीं करते । "

कुमार मनीष जी 
" जागो हिंद के वीरो , फिजाएं आवाज देती हैं ।
धरती आसमान मुझको हवाएं आवाज देती हैं । "

श्री सूरज सिंह राजपूत 
" जान जो दे गये थे वतन के लिये
तरसी लाशें थी उनकी कफ़न के लिये ।
कितने फांसी हुये कितनी गोलि चलि
मौन माध्यम नहीं है अमन के लिये । "

बालकृष्ण मिश्रा
" आओ तिरंगा फहराए हम , यारों पूरी शान से ।
दाग लगे ना करे हिफाजत , तन मन धन और प्राण से ।। "

श्री शशिकांत ओझा 
" घाव अइसन मिलल बा , समय के देहल ।
कहीं दवा बेअसर , थोरे थोरे हो गईल ।। "

काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे श्री बसंत कुमार 
" हां कुछ नमक हराम , उस वक्त भी थे ।
जब फिरंगीयो ने , टुकड़े फेंके थे ।। "

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्री भैरव रजक जी ने विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए कवि को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया ।

इस सुअवसर पर
1. श्री बसंत कुमार जी (जमशेदपुर)
2. श्री शशिकांत ओझा जी
3. श्री सूरज सिंह राजपूत
4. श्री आनंद पाठक जी ( जादूगोड़ा)
5. श्री चंद्रकांत त्रिपाठी ' चंदन '
6. कुमार मनीष जी
7. श्री डीएन सिंह जी ( नरवा पहाड़ )
8. श्री भैरव रजक
9. जयकुमार राना जी ( केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) नरवा पहाड़
10. श्रीमती ज्योति सिंह
11. बालकृष्ण मिश्रा

साहित्य संगम के अध्यक्ष डॉ पी के अधिकारी व श्री पीसी दास , विशंभर साहू , महेश्वर दास और बोस जी और अन्य सदस्य भी मौजूद थे ।

कार्यक्रम कि पूरी जानकारी साहित्य संगम के संयोजक श्री बालकृष्ण मिश्रा जी ने दी ।

No comments:

Post a Comment