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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Monday, July 19, 2021

कविता : विश्वास का दिया || सरोज सिंह परमार ( झारखण्ड )

 

विश्वास का दिया

तमसो मा ज्योतिर्गमय ।

सब ने चरितार्थ कर दिखाया ।

देश रक्षार्थ कदम आगे बढ़ाया।


ए रोशनी कह दो अंधेरों से....

भला यहां क्यों तू डेरा जमाया ।

तेरा न कोई बसेरा यहां ।


अरे कह दो अंधेरों से......

आज देश मेरा रोशनी से नहाया ।

आशाओं का दीप जगमगाया। 


अपने घरों से सब ने दिया जलाया ।

विश्वास ज्ञान का प्रकाश पुंज फैलाया ।

देश जैसे रोशनी से नहाया ।


दीप जलाया दीप जलाया। 

देखो कैसे.. 

सबने अपना धैर्य दिखाया।

विषम परिस्थिति को त्यौहार बनाया।


सरोज सिंह परमार , टेल्को जमशेदपुर

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