विश्वास का दिया
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।
सब ने चरितार्थ कर दिखाया ।
देश रक्षार्थ कदम आगे बढ़ाया।
ए रोशनी कह दो अंधेरों से....
भला यहां क्यों तू डेरा जमाया ।
तेरा न कोई बसेरा यहां ।
अरे कह दो अंधेरों से......
आज देश मेरा रोशनी से नहाया ।
आशाओं का दीप जगमगाया।
अपने घरों से सब ने दिया जलाया ।
विश्वास ज्ञान का प्रकाश पुंज फैलाया ।
देश जैसे रोशनी से नहाया ।
दीप जलाया दीप जलाया।
देखो कैसे..
सबने अपना धैर्य दिखाया।
विषम परिस्थिति को त्यौहार बनाया।
सरोज सिंह परमार , टेल्को जमशेदपुर
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