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भगत सिंह
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“यदि बहरों को सुनाना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा”

“…व्यक्तियो को कुचल कर , वे विचारों को नहीं मार सकते।”

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।”

“महान साम्राज्य ध्वंस हो जाते हैं पर विचार जिंदा रहते हैं।”

Wednesday, May 26, 2021

मेरी माँ || शिनम धीमान ( हिमाचल प्रदेश )

 


मेरी माँ

घुटनों से रेंगते-रेंगते
कब पैरों पर खड़ी हुई,
जाने कब बड़ी हुई माँ।
काला टीका दूध मलाई
आज भी सब कुछ
तेरा वैसा ही है माँ।
माँ ही माँ हर दिखती जगह
कैसा प्यारा प्यार तेरा माँ।
सीधी-साधी,भोली-भाली,
सबसे अच्छी मेरी माँ हूँ।
कितनी भी बड़ी हो जाऊं
मैं आज भी तेरी बच्ची हूँ माँ।

शिनम धीमान
नौवीं कक्षा की छात्रा
राजकीय उच्च विद्यालय ठाकुरद्वारा

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